गौतम बुद्ध की कहानी | ये 1 नियम 80% बीमारियां ठीक कर देगा

Buddha Health Tips In Hindi: प्राचीन काल में हमारे संत-मुनियों ने कुछ ऐसे उपाय खोजे थे। जिसके सहारे वह लंबे समय तक बीमारियों से मुक्त होकर अपना जीवन जी सकते हैं। आज के वीडियो में हम उनमें से सबसे महत्वपूर्ण नियमों का जिक्र करेंगे. जो बहुत आसान है और जिसे अपनाकर कोई भी व्यक्ति, पुरुष या महिला, बूढा या बच्चा अपना सकता है और बीमारियों से मुक्त स्वस्थ जीवन जी सकता है।

इस नियम को समझने के लिए सबसे पहले यह समझें कि प्राचीन काल में हमारे संत-मुनि कभी भी सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करते थे। चरक संहिता में इसका कारण बताते हुए कहा गया है कि मानव शरीर में जठराग्नि होती है जो पाचन क्रिया को नियंत्रित करती है।

जिसे कुछ लोग पाचक अग्नि के नाम से भी जानते हैं और यह जठराग्नि यानी पाचक अग्नि सूर्य के संपर्क में आने पर अच्छे से काम कर सकती है और जब कोई व्यक्ति सूर्य डूबने के बाद भोजन करता है तो रात के समय उसकी पाचक अग्नि सक्रिय नहीं होती है।

जिसके कारण धीरे-धीरे पाचन क्रिया में बाधा उत्पन्न होने लगती है और इसके कारण समय के साथ शरीर में बीमारियाँ उत्पन्न होने लगती हैं। यहीं से सभी रोगों की जड का जन्म होता है। अगर इस जड को यहीं खत्म कर दिया जाए, मिटा दिया जाए तो शरीर जीवनभर रोगों से मुक्त रह सकता है।

अब समझने वाली बात यह है कि जब हमारी जठराग्नि यानी पाचन अग्नि ठीक से काम नहीं करती है तो हमारी प्राण शक्ति को काम करना पडता है और हमारी प्राण शक्ति एक समय में एक ही काम अच्छे तरीके से कर पाती है।

जब हमारी महत्वपूर्ण ऊर्जा पाचन में शामिल होती है, तो हम गहरी नींद नहीं ले पाते हैं और इसी कारण से कुछ लोग आठ-आठ दस-दस घंटे की नींद लेने के बाद भी सुबह थका हुआ महसूस करते हैं। इसका कारण यही है.

प्राणशक्ति की ऊर्जा जो रात के समय हमारे शरीर को अंदर से ठीक करती है, उसकी मरम्मत करती है, फिर यही ऊर्जा रात के समय जब मनुष्य सोता है तो उसके शरीर के रोगों को ठीक करने में अपना समय व्यतीत करेगी और धीरे-धीरे इससे आपका शरीर अपने आप ही अपने रोग ठीक कर लेगा। .

लेकिन इसके लिए आपको अपना रात का खाना सूरज डूबने से पहले करना होगा, ताकि सूरज के संपर्क में रहने वाली आपकी पाचन अग्नि बेहतर तरीके से काम करे। यह आपके भोजन को जल्दी पचाने में मदद करेगा जिससे आपकी जीवन शक्ति अन्य कार्य कर सकेगी।

मान लीजिए कि आप शाम को ६ से ७ बजे के बीच खाना खाते हैं, इसके बाद आप ९ से १० बजे के आसपास सो जाते हैं, तो इन २ से ३ घंटों में आपका ज्यादातर खाना पच जाता है और बाकी का भोजन रात्रि के १ बजे तक पूरी तरह से पच जाता है.

और उसके बाद आपकी जीवन शक्ति आपके शरीर की मरम्मत करने लगती है, आपके शरीर की बीमारियों को ठीक करने में लग जाती है और यही वह समय होता है जब आपका शरीर खुद को डिटॉक्स करना शुरू कर देता है।

इसी प्रक्रिया को अर्ध उपवास कहा जाता है, जिसकी पूरी अवधि १६ घंटे की होती है। लेकिन जो लोग दिन में १६ घंटे उपवास करने में सक्षम नहीं है वो १२ घंटे से शुरुआत कर सकते हैं।

यानी की अगर आपने रात्रि को ७ बजे भोजन किया है तो आप अगले दिन सुबह ७ बजे ही भोजन करें. जिससे कि आपकी बॉडी को तकरीबन छह घंटों का समय मिलता है खुद को रिपेर करने का। इस अर्ध उपवास में हमारे शरीर में क्या प्रक्रिया घटित होती है?

पहले इसको समझिए। जब हम अर्ध उपवास करते हैं तो हमारे शरीर को पूरी तरह से भोजन नहीं मिलता। इसीलिए शरीर अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी कोशिकाओं में जो बैक्टीरिया होते है, उनको ही खाना शुरू कर देता है.

और इसी वजह से हमारी कोशिकाओं का अपने आप शुद्धिकरण होने लगता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे ऑटोफैजी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है बॉडी को सेल्युलर लेवल पर डिटॉक्स करना। सिर्फ २१ दिन के लिए जो मनुष्य इस प्रक्रिया को अपना लेता है, उसकी त्वचा में निखार आने लगता है।

उसके बाल गिरने कम हो जाते हैं, सुबह अच्छी ताजगी होती है, रात को नींद गहरी आती है और मानसिक तनाव बिल्कुल मिट जाता है। कुछ लोगों को लगता है कि अर्ध उपवास करने से उनका शरीर कमजोर हो जाएगा।

लेकिन अर्ध उपवास करने से शरीर का फैट कम होता है, मसल्स लोस नहीं होता और मसल्स लोस नहीं होता, इसीलिए शरीर की क्षमता अपने आप बनी रहती है। अब तक आप ये समझ चूके हैं कि आपकी प्राणशक्ति आपकी बीमारियों को दूर करने के लिए किस प्रकार कार्य करती है।

किस समय आपको भोजन करना चाहिए, ताकि आपकी प्राणशक्ति पूरी ऊर्जा के साथ काम कर सके? ये हम समझ चूके हैं लेकिन इसके बाद जो समझने वाली बात है वो ये है कि आज के समय में काम करते करते आदमी अपनी दैनिक दिनचर्या बिल्कुल छोड देता है।

वो किस प्रकार सही समय पर भोजन करें? अगर वो रात के समय काम करता है तो वो किस प्रकार भूखा रहे? क्योंकि उसे तो आदत हो चुकी है रात के समय देर से खाना खाने की और कुछ लोगों के साथ समस्या ऐसी है कि वो भूखे नहीं रह सकते।

थोडी थोडी देर में उन्हें भूख लगती रहती है तो ऐसे लोग किस प्रकार इस प्रक्रिया का लाभ उठा सकते हैं? देखिये अगर आप १६ घंटे का उपवास कर रहे हैं तो उसके लिए आपको बीच बीच में कुछ लिक्विड चाहिए, जिससे आपकी बॉडी भी हाइड्रेटेड रह पाए.

और आपके शरीर को डिटॉक्स करने की प्रक्रिया भी तेज हो जाए। शुरुआत में अगर आप अपना रात्रि का भोजन ७ बजे कर लेते हैं तो आपको १० बजे तक भूख लगेगी ही लगेगी। उस समय जब आपको भूख लगे तो उस समय आप नारियल पानी पी सकते हैं।

इससे शरीर में बहुत सारे लाभकारी फायदे भी होंगे और आपके डिटॉक्स की प्रक्रिया तेज हो जाएगी। इसके अलावा आपको कॉफी भी पी सकते हैं और जिन लोगों का वजन ज्यादा बढा हुआ है, जो अपने वजन को कम करना चाहते हैं, ऐसे लोग थोडे गर्म पानी में एक नींबू निचोडकर उसको पी सकते हैं।
इससे उन्हें अद्भुत लाभ होंगे।

कुछ ही दिनों में वो पाएंगे कि उनके शरीर का वजन कितनी तेजी के साथ घट गया है। लेकिन जिन लोगों को ठंड जल्दी लगती है, जुकाम जल्दी होता है, खांसी हो जाती है, बुखार हो जाता है तो ऐसे लोग रात में पानी में नींबू निचोडकर कभी ना पिएं। रात को त्रिफला चूर्ण भी लिया जा सकता है, जो कि बहुत लाभकारी होता है।

वो आपके शरीर को डिटॉक्स करने में उसकी बहुत सहायता करता है। सुबह आपका पेट अच्छे से खाली होगा। अगर रात को आप त्रिफला चूर्ण लेकर सोते हैं तो जिन लोगों को डाइअबीटीज़ या फिर शुगर की प्रॉब्लम रहती है, ऐसे लोग अर्ध उपवास पूरा करने के बाद जब अपना पहला भोजन करते हैं यानी की सुबह ब्रेकफस्ट जब वो करते हैं तो हल्के गर्म पानी में एप्पल साइडर विनेगर, दालचीनी का पाउडर और ऊपर से एक नींबू निचोडकर पी सकते हैं।

इससे उन्हें डायबिटीज में बहुत राहत मिलेगी और कुछ ही समय में उनके रिजल्ट्स बिलकुल चेंज हो जाएंगे। उनका शुगर लेवल डायबिटीज बिल्कुल मेनटेन होने लगेगा। जिन लोगों को हर्ट की प्रॉब्लम ज्यादा रहती है, ऐसे लोग सुबह ब्रेकफास्ट में घी या फिर कद्दू का जूस ले सकते हैं।

ये उनकी त्वचा के लिए उनकी बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए और हर्ट के लिए सबसे ज्यादा बेनेफिशियल होता है। जिन लोगों का डाइजेशन ठीक नहीं होता है, ऐसे लोग पानी में अजवाइन और जीरा गर्म करके उस पानी को ठंडा करके पी सकते हैं।

इससे उनकी पाचन क्रिया बहुत सुलभ हो जाएगी और जिन लोगों को अर्ध उपवास करने में दिक्कत होती है, बार बार भूख लगती है तो ऐसे लोग हल्के गर्म पानी में शहद मिलाकर पी सकते हैं। ये उनकी भूख को मिटा देगा और उनके शरीर को डिटॉक्स करने में बहुत मददगार ही साबित होगा।

कुछ लोग जल्दी रिजल्ट पाने के लिए हफ्ते में दो दो दिन उपवास करते हैं लेकिन फिर ५ दिन पेट भर भर के भोजन करते हैं। इससे उनको जल्दी रिजल्ट्स तो मिल जाते हैं।

लेकिन ज्यादा समय तक ऐसे रिजल्ट्स टिकाऊ नहीं होते। अर्ध उपवास यानी की इंटरमिटेंट फास्टिंग धीरे धीरे रिजल्ट दिखाती है, लेकिन इसके जो रिजल्ट होते है वो परमानेंट होते हैं। इसमें ऐसा नहीं होता है कि जैसे ही आपने फास्टिंग करनी छोडी वैसे ही आपका फिर से वही हाल हो गया।

इसमें एक बार आपके शरीर को जो फायदे हो गए, वो बहुत समय तक मिटते नहीं है। देखिये हर कोई अर्ध उपवास कर भी नहीं सकता है क्योंकि जो स्पोर्ट्समैन होता है जो खेलकूद में होते हैं।

उनके शरीर को रेगुलर डाइट चाहिए होती है, क्योंकि उनके लिए हेल्थ से ज्यादा performance जरूरी होती है। इसी तरह बच्चों को भी अर्ध उपवास नहीं करना चाहिए और जो लोग मधुमेह के पेशेंट हैं, जिनका शुगर लेवल गडबड रहता है,

ऐसे लोगों को अगर अर्ध उपवास करना है तो समय समय पर अपना शुगर लेवल, ब्लड शुगर लेवल, चेक करवाते रहिए। जो लोग अर्ध उपवास का सही तरीके से पालन करते हैं, उनके शरीर की ८०% बीमारियां खुद ही ठीक हो जाती है।

और जिन लोगों को कोई बिमारी नहीं होती, ऐसे लोग अर्ध उपवास करके अपनी बॉडी को डिटॉक्स कर सकते हैं, जिससे कि भविष्य में उनको कोई बिमारी नहीं होंगी। यही हमारे संत मुनियों का जीवन भर स्वस्थ रहने के लिए अचूक मंत्र था, जिसका आयुर्वेद, चरक संहिता हर जगह उल्लेख मिलता है।

चरक संहिता में अर्ध उपवास के साथ एक और नियम जोडा गया था, लेकिन वो आज के समय में संभव नहीं है, लेकिन फिर भी मैं आप लोगों के सामने उसका उल्लेख करना चाहता हूँ।

शायद कुछ लोग उसका पालन कर पाए और अगर आप पालन कर पाते हैं या नहीं भी कर पाते हैं तो कमेंट सेक्शन में जरूर बताना। देखिये पुराने समय में जो खाना पकता था वो मिट्टी के बर्तनों में पकता था और यह बहुत जरूरी होता था की उस खाने को पकाने के लिए उसमें वायु का स्पर्श हो, उसमें प्रकाश का भी स्पर्श हो, उसमें अग्नि का स्पर्श हो और उसमें मिट्टी का भी स्पर्श हो, उस समय मिट्टी का ही बर्तन होता था। अग्नि का स्पर्श खाने को पकाने के लिए दिया जाता था।

और सूर्यास्त से अगर पहले खाना पकेगा, तो उसमें प्रकाश का भी स्पर्श आ जाएगा और वायु का भी स्पर्श आ जाएगा। क्योंकि खाना प्रेशर कुकर में नहीं पकता था, खुले बर्तन में पकता था जिससे वायु उसको स्पर्श कर सके। लेकिन आजकल की जीवनशैली में यह संभव नहीं है।

इसीलिए कम से कम हम अर्ध उपवास करना तो सीखे, चाहे हम उस तरह का भोजन तैयार नहीं कर पा रहे, लेकिन अर्ध उपवास करके अपने शरीर को फायदा तो पहुंचा सकते हैं।

तो दोस्तों उम्मीद करता हूं आपको इस कहानी से एक अच्छी सिख मिली होगी, यह कहानी आपको कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं और साथ ही इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे ताकि उन्हें भी इस कहानी से कुछ सिखने को मिल सके। धन्यवाद…

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