बुद्धिमान व्यक्ति ये 7 बाते किसी को नहीं बताते | 7 Things To Keep Private Buddha Story

बुद्धिमान व्यक्ति ये 7 बाते किसी को नहीं बताते

धीरे बोलो कोई सुन ना ले? यह बात हम सबके कानों में पडी होगी और हमारे मुँह से भी निकली होगी। लेकिन सोचने की बात ये है की ये वाक्य कब कब हमारे मुँह से निकलता है और कब कब हमारे कानों में पडता है, क्योंकि ऐसे कम ही गुप्त राज़ होते हैं जो हम दूसरों के कानों में पडने नहीं देना चाहते। अक्सर परिवार में अशांति का कारण हम स्वयं ही होते है। हम इस बात को देख पाए, भले ना देख पाए, पर ये असल सत्य हैं क्योंकि जाने अनजाने मूर्खतावश हम खुद ही अपनी वो बातें दूसरों को बता देते हैं जो हमें कभी नहीं बतानी चाहिए?

और वही बातें जो जाने अनजाने हमने किसी दूसरे के सामने बता दी थी, वहीं हमारे दुख का कारण बन जाता है। वही हमारे झगडे का कारण बन जाता है और फिर बाद में हमें पछतावा होता है कि मुझे यह बात किसी को बतानी नहीं चाहिए थी। मेरी ही गलती हुई कि मैंने, मैंने जाने अनजाने ये बात सभी को बता दी। इसीलिए आज की जो बौद्ध कहानी मैं आपको सुनाने वाला हूँ, उसे सुनने के बाद आपको साथ ऐसी बातें पता चलेंगी जो आपको कभी किसी को नहीं बतानी।

buddhimaan vyakti ye 7 baate kisee ko nahin bataate

ये जो सात बातें हैं, जो आपको किसी को नहीं बतानी क्यों नहीं बतानी? इसके पीछे का तर्क भी मैं आपको दूंगा। और इन सात बातों के अलावा अगर आपको लगता है कि कोई बात ऐसी है जो मुझसे छूट गई या मैं नहीं बता पाया तो कमेंट सेक्शन में जरूर बताना। इससे पहले कि आप इस बौद्ध कहानी में खो जाए, इस चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर लें। तो चलिए कहानी शुरू करते हैं। एक समय की बात है। एक नगर में राजेश नाम का एक युवक रहता था। वो युवक बहुत गरीब था।

दो वक्त की दाल रोटी भी बडी मुश्किल से उसको नसीब होती थी। किसी काम की तलाश में दिन रात खोज करने पर भी उसे कोई काम नहीं मिल रहा था। फिर एक दिन उसने अपनी पत्नी के सामने अपनी सारी समस्या बता दी। उसने अपनी पत्नी को कहा कि मैं जीस जगह भी काम मांगने के लिए जाता हूँ तो हर कोई मुझे यह कहकर काम नहीं देता कि हमारे यहाँ काम की जरूरत नहीं है। मैं काम की तलाश कर करके थक चुका हूँ। मुझे समझ नहीं आता कि मैं तुम लोगों का पेट कैसे भरूंगा।

अपने बच्चों को कैसे पालूंगा? और ये चिंता मुझे दिन रात खाये जा रही है। यह सुनकर उसकी पत्नी ने कुछ सोचकर कहा कि तुम एक आदमी के पास एक बार ही काम मांगने के लिए जाते हो और जब वो काम नहीं देता तो तुम दो बार उसके पास जाते तक नहीं हो। अगर तुम्हें उनसे काम लेना है तो तुम्हें हमदर्दी जतानी होगी। तुम्हे उनसे हमदर्दी हासिल करनी होगी। अपनी गरीबी दिखानी होगी ताकि वो लोग तुम्हारी मजबूरी समझ कर तुम्हें काम पर रख लें। इसीलिए शर्म मत करो उन्हें अपनी मजबूरी बताओ, अपनी गरीबी बताओ।

और इसी उपाय से तुम काम पा सकते हो। ये बात राजेश के मस्तिष्क में बैठ गई और अगले दिन काम मांगने के लिए वो उसी सेठ के पास जा पहुंचा जहाँ पर वो पिछले दिन काम मांगने के लिए गया था। लेकिन इस बार उसने हाथ जोडकर उस सेठ से प्रार्थना की उससे विनती की कि वो बहुत गरीब है और उसे काम की बहुत आवश्यकता है। वो जो कुछ भी उसे देंगे उसमें संतुष्ट हो जाएगा पर कृपया करके मुझे अपने यहाँ काम पर रख लें। उसकी ये हालत देखकर उस सेठ ने उसे अपने यहाँ काम पर रख लिया।

वो रोज़ वहाँ पर काम पर जाने लगा। अंदर ही अंदर वो खु़श तो था कि उसे काम तो मिला लेकिन उसे वेतन दूसरे लोगों से कम मिलता था। वही काम जो दूसरे लोग कर रहे थे उन्हें ज्यादा वेतन मिल रहा था और इससे कम वेतन मिल रहा था। जब इस बारे में उसने अपने सेठ से कहा तो सेठ ने कहा कि देखो भाई तुम्हें काम की जरूरत थी, मैंने तुम्हें काम दिया, मेरा धन्यवाद करने की बजाय तुम मुझसे शिकायत कर रहे हो। ये सुनकर रिंकु वहीं पर चुप हो गया।

बात कही ना कही सत्य थी। सस्ती सेठ ने तो उसे उसकी मजबूरी के हिसाब से ही काम दिया था और इसीलिए वो उसे अपने अनुसार ही वेतन देता था। लेकिन धीरे धीरे उसने ये बात अपने सगे संबंधियों और अपने दोस्तों को भी बताना शुरू कर दी कि उसका सेट कैसा आदमी है और उसे कितना वेतन देता है। समय बीतता रहा और राजेश पूरी लगन के साथ अपना काम करता रहा। लेकिन अब परिस्थितियां बदलने लगी थी। सेठ अब राजेश से दूसरे लोगों से ज्यादा काम लेता था।

और उसे कम वेतन उसे देता था। यह बात राजेश के मन को बहुत खलती थी। वो दूसरों से ज्यादा मेहनत कर रहा है और उनसे कम वेतन पा रहा है। इससे उसके आत्मसम्मान को बहुत गहरी चोट पहुंची।

अब धीरे धीरे उसका मन अपने काम से हटने लगा। उसका मन काम में लगता ही नहीं था। ज़ाहिर सी बात है कि ऐसी जगह किसका मन लगेगा जहाँ आदमी को अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता करना पडे। इसीलिए जल्द ही उसने अपना काम छोड दिया और वो घर पर आकर खाली बैठ गया। अब उसके पास घर का खर्चा चलाने के लिए भी पैसे नहीं बचे थे। इसीलिए उसने अपने सगे संबंधियों और अपने दोस्तों से सहायता मांगने शुरू की, लेकिन उसके दोस्त उसके सामने तो उसे दया का पात्र समझते थे।

उसे दिलासा देते थे, लेकिन पीछे से उसका मजाक उडाते थे। वो कहते है की कितना बेवकूफ है। सेठ ने इतना काम लिया और बेचारे को पैसे भी नहीं दिए। अरे हम इसको पैसे दे दे तो ये कल हमारा भी पैसा वापस कर पाएगा। इसकी ऐसी हालत है काम तो इसके पास कुछ है नहीं। पैसा कहाँ से लाके देगा? और इसी वजह से राजेश की हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही थी। अब वो दिन रात तनाव में रहने लगा था। वही दोस्त, वही सगे संबंधी जो उसके अपने होने का दिखावा कर देते।

वो उसे दया का पात्र समझ रहे थे, उन्हें उसके ऊपर तरस आ रहा था। सब लोग आकर उसे ज्ञान तो बहुत देते थे लेकिन कोई सहायता नहीं करता था और अक्सर ऐसा ही होता है। ज्ञान देने वाले तो बहुत मिल जाते हैं लेकिन मदद करने वाले, ऊँगली पकडकर, हाथ पकडकर आगे चलाने वाले कितने लोग मिलते हैं?

एक दिन उसे पता चला कि पडोस के गांव में एक बौद्ध भिक्षु आया हुआ है, जो बहुत ही ज्ञानी हैं। राजेश इतना तनाव में था कि उसे कोई रास्ता नजर ही नहीं आ रहा था। इसीलिए जाने या अनजाने वो उस बौद्ध भिक्षु के पास पहुँच जाता है। वहाँ पहुँचकर वो सीधे उनके पैरों में गिरकर रोने लग जाता हैं। वो रोते रोते उन्हें अपनी सारी परिस्थिति बताता है। उसे बताता है कि किस तरह उसके सेठ ने उसका फायदा उठाया और उसके सगे संबंधी उसके साथ कैसा व्यवहार रखते हैं।

सारी बातें सुनकर बौद्ध भिक्षु ने उसे चुप कराते हुए कहा कि बेटा ये सारी समस्याएं तुम्हारी बुद्धिहीनता, तुम्हारी मूर्खता के कारण उत्पन्न हुई है। अगर तुम्हारे अंदर विवेक होता, तो इनमें से एक भी समस्या तुम्हारे मन को दुखी नहीं कर सकती थी, लेकिन तुमने अपने अविवेक के कारण, अपनी मूर्खता के कारण खुद ही अपने रास्ते में कांटे बिछा दिए। आज मैं तुम्हें साथ बातें बता रहा हूँ जो भूलकर भी किसी को मत बताना और इन बातों का अनुसरण करते हुए तुम बाहर से मिलने वाले दुखों को दूर कर ही सकते हो, जो बेवजह दुनिया की वजह से तुम्हारे अंदर पनपते हैं।

पहली बात जो किसी को नहीं बतानी चाहिए वो है अपनी मजबूरी। अपनी मजबूरी का दिखावा करके दूसरों का दया पात्र बन के उनकी सहायता लेने की गलती कभी मत करना। हो सकता है कि आज वो तुम्हारी मजबूरी देखकर तुम्हारी सहायता कर दें, लेकिन कल वो तुम्हारा फायदा उठाने से भी नहीं चूकेगा। और अगर फायदा भी नहीं उठाया, तो दूसरो के सामने तुम्हारा मजाक बनाने में वो आदमी कभी नहीं चूकेगा।

इसीलिए कभी भी अपनी मजबूरी का दिखावा मत करो। अगर घर में दो रोटी है, सूखी रोटी है तो वही खा कर सो जाओ, लेकिन दूसरों को इसके बारे में भनक तक नहीं लगनी चाहिए। ज़रा आप खुद सोचो मजबूरी बताने का क्या मतलब होता है? एक इंसान का या तो वह दूसरों से सहानुभूति हासिल करना चाहता है या उनसे कोई आर्थिक मदद चाहता है.

लेकिन अगर दोनों ही परिस्थितियां आप देखे तो दूसरा आदमी आपका फायदा उठाने से नहीं चूकेगा और अगर वो फायदा नहीं भी उठाएगा तो अपनी नजर में तो वो आप को मूर्ख ही समझेगा, बेवकूफ समझेगा और दूसरों के सामने आपका मजाक तो जरूर बनाएगा। इसीलिए अपनी मजबूरी के बारे में कभी किसी को मत बताना।

दूसरी बात जो किसी को भी नहीं बतानी चाहिए वो है अपनी अतीत की गलतियाँ और भविष्य की रणनीतियां ज़रा सोचो की अगर हम अपने अतीत की गलतियाँ किसी दूसरे को बताते है तो उसका क्या प्रभाव होगा? वो गलतियाँ ठीक तो नहीं की जा सकती। ज़ाहिर है तो उन्हें बताने का क्या मतलब रह जाता है। आप अपने अंधेरे पक्ष को खुद दुनिया के सामने बता रहे हो। खुद अपनी गलतियाँ दूसरों के सामने बता रहे हो।

इससे उस आदमी की नजर में आपका एक चरित्र गठित हो जाएगा और वो भविष्य में हमेशा आपको उसी नज़रिए से देखेगा। इसीलिए किसी भी आदमी की नजर में अपना चरित्र गठित मत होने दो। और ज़रा सोचो कि आप व्यर्थ में ही अपने भविष्य की रणनीतियां दूसरों के सामने बता रहे हो। जो लोग आपके काम का हिस्सा ही नहीं है उनके सामने अपनी भविष्य की रणनीतियां, अपनी डींगे हांकने का क्या फायदा?

वो लोग आपकी सहायता तो नहीं करेंगे, लेकिन आपकी भविष्य की रणनीति यों में बाधा जरूर बन सकते हैं। आप खुद अपने विवेक का इस्तेमाल करिए और सोचिए कि आपके साथ भी ऐसा हुआ है कि आपने अपनी भविष्य की रणनीति किसी को बताई हो। और वो कामयाब ही ना हुई हो। जरूर हुआ होगा। ज़रा कौर से सोचिए,

तीसरी बात जो किसी को नहीं बतानी चाहिए वो है अपने घर की बातें। जो भी हमारे घर के अंदर आपस में बातचीत होती है, हमारे माँ बाप के साथ, हमारी पत्नी के साथ, हमारे बच्चों के साथ, वो बातें परिवार तक ही सीमित रहनी चाहिए। अगर आप इन बातों का दूसरों के सामने ढिंढोरा पीटते हो तो दूसरों को आपके घर में घुसने का एक मौका मिल जाता है और वह इसका फायदा उठाने से कभी नहीं चूकेंगे।

वो आपके परिवार के सदस्यों को आप से दूर ले कर जाने की कोशिश करेंगे। अक्सर ऐसा होता है हम समाज में देखते है की हम अपने घर के झगडों को कम करने के लिए उन झगडों को अपने पडोसियों और दूसरे सगे संबंधियों को बता देते हैं। लेकिन इससे आपको सहायता कभी नहीं मिली होगी.

बल्कि आपके घर के लडाई झगडे और ज्यादा बढ गए होंगे और वो ज़ाहिर है वो बढेंगे। अगर आप अपने माँ बाप की बात दूसरों को बताएंगे तो आपके माँ बाप को बुरा लगेगा ही कि हमारा बेटा हम से बताए बगैर दूसरों को ये बातें बता रहा है। इसीलिए अपने घर की बातें और अपने घर की लडाई झगडे, किसी के सामने मत बताना।

चौथी बात जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ, जो किसी को नहीं बतानी चाहिए वो सुनने पर बहुत अजीब लग सकती है, लेकिन उसका सत्य भी मैं आपको एक तर्क के माध्यम से दूंगा। मैं कहता हूँ कि अपनी आमदनी किसी को मत बताना। अब अपनी आमदनी ना बताने के पीछे क्या मतलब हो सकता है? ज़रा सोचिए कि आप अपनी आमदनी अपने दोस्तों को बता देते है तो जब आपके दोस्तों को जरूरत पडेगी तो वो सिर्फ आपको ही याद करेंगे क्योंकि उनको पता है कि अगर आपकी आमदनी ज्यादा अच्छी है

तो आप भी उनकी मदद कर सकते हैं और इसीलिए ज्यादा लोग आपसे सहायता मांगेंगे और जब आप उनकी सहायता नहीं करेंगे तो वो सोचेंगे कि इस आदमी के पास पैसे है, मेरी सहायता कर सकता है, लेकिन यह सहायता कर नहीं रहा है और इसीलिए आपकी आमदनी आप दोनों दोस्तों के बीच एक झगडे का कारण हो सकती है। कम आमदनी होगी तो लोग मजाक उडाएंगे और ज्यादा होगी तो सहायता मांगेंगे तो अपनी आमदनी बताने का कोई मतलब नहीं है।

पांचवी बात जो मैं आपको बताने वाला हूँ उसे आप गांठ बांध लेना और किसी को ये बात मत बताना। अपनी कमजोरियां और अपनी ताकत अक्सर इंसान को पता नहीं होता है की उसकी कमजोरी या उसकी ताकत क्या है? लेकिन अगर आपको अपनी कमजोरी और अपनी ताकत पता है तो पहली बात तो आप बहुत ही बुद्धिमान आदमी है और दूसरी बात की आपको ये बातें किसी से साझा नहीं करनी है क्योंकि अगर आपकी कमजोरी या दूसरों को पता चल गई तो वो आपकी कमजोरियों का फायदा उठाएंगे।

और अगर आप की ताकत पता चल गयी तो वही ताकत आपकी कमजोरी बन जाएगी, क्योंकि वो ताकत दूसरे आदमी को पता है और वो ताकत की कार्ड भी ढूंढ ही लेगा। अपनी कमजोरी और अपनी ताकत अपनी पत्नी या अपने पति को भी नहीं बतानी चाहिए, क्योंकि इसके बाद आपको घर में उनसे हमेशा दबके रहना पडेगा।

अगली बात जो किसी को नहीं बतानी चाहिए वो है अपने मित्र और अपने शत्रु। आप अपने मित्रों के बारे में अगर दूसरे लोगों को बताएंगे। तो वह आपके मित्रों के साथ अपनी घनिष्ठता बनाकर आपको धोखा दिलवा सकते हैं। आपके गहरे मित्रों को आपसे दूर करने का प्रयास कर सकते हैं।
अक्सर आम आदमी ऐसा नहीं करता लेकिन आपके दुश्मन ऐसा करने की कोशिश कर सकते हैं और दूसरी तरफ आपके शत्रु का भी किसी को नहीं पता लगना चाहिए.

क्योंकि आज जो आपका मित्र है अगर कल वो आपका दुश्मन हो गया तो वो आपके दुश्मन के साथ ही मिलकर आप को परास्त कर सकता है। आप को धोखा दे सकता है। इसीलिए अपने सबसे अच्छे दोस्तों को भी अपने दुश्मन के बारे में कभी मत बताना।

अगली और आखिरी बात कहना चाहता हूँ कि जब तुम दान करते हो तो दान के बारे में भी किसी को मत बताना नहीं तो दान करना व्यर्थ हो जाता है, बेकार हो जाता है। जब आप अपने दान का ढिंढोरा पीटते हो तो आप ये बता रहे हो कि मैं कितना बडा दानी पुरुष हूँ और ये आपके अंदर एक अहंकार निर्मित करेगा। इसी लिए दान गुप्त रूप से किया जाए उतना ही अच्छा होता है।

उतना ही फलदायी होता है। जब आप का बायां हाथ दान कर रहा हो तो दायें हाथ को बिना पता चले की बायां हाथ दान कर रहा है। ये सात बातें जो बौद्ध भिक्षु ने राजेश को बताई। इनमें संसार के सभी सिद्धांत छिपे हुए हैं। इन बातों का अनुसरण करते हुए आप अपने घर में सुख शांति बना सकते हैं और घर के झगडे हमेशा के लिए दूर कर सकते हैं। आप इन बातों के बारे में अपने विवेक से भी सोचेंगे तो आपको यह बातें सच मालूम पडेगी।

हमारा कहानी सुनाने का मकसद यही है की आप का विवेक जागृत हो। आप खुद उन बातों के बारे में सोचें जो हम आपको बता रहे हैं और अगर हम गलत है तो आप कमेंट सेक्शन में वो बात जरूर बताएं जिस पर हम गलत हैं और इनके अलावा भी अगर आप कुछ जानते हैं तो उन बातों को भी कमेंट सेक्शन में जरूर डालें। तो दोस्तों कैसी लगी आपको ये कहानी? कमेंट सेक्शन में जरूर बताना, तो मिलते है अगली कहानी में तब तक के लिए अपना ख्याल रखें।

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