स्वस्थ शरीर पाने के लिए बौद्ध कथा| पेट साफ करने के आयुर्वेदिक तरीके

आज की इस कहानी में हम उन सबसे आसान और सबसे असरदार तरीकों के बारे में बात करेंगे। जिनसे आप अपने घर पर रहकर बिना किसी दवा के अपना पेट साफ बडी आसानी से कर सकते हैं। इसके बाद हम आपको भोजन के तीन नियमों के बारे में भी बताएंगे। इसलिए को पूरा पढ़े।

गौतम बुद्ध की कहानी

किसी गांव में रामू नाम का व्यक्ति रहता था। वह अपने पेट को लेकर बहुत ही ज्यादा परेशान रहता था। वह एक दिन एक महात्मा के पास जाता है क्योंकि वह महात्मा आयुर्वेद के बडे ज्ञानी थे।

रामू महात्मा से प्रणाम करता है और कहता है, हे मुनिवर! मैं अपने पेट को लेकर बहुत ज्यादा परेशान हूं। मेरे पेट में दिन-प्रतिदिन समस्याएं उत्पन होती जा रही है। मेरा अच्छे से पेट साफ नहीं हो पता है। मेरे पेट में बहुत ज्यादा जलन और दर्द होने लगता है। इसके अलावा मुझे मल त्याग करने में भी बहुत ज्यादा होती है। अगर मैं संक्षेप में कहूं तो मेरे पेट की पाचन क्रिया समय से पहले ही मेरा साथ देना छोड रही है।

हे मुनिवर! कृपया आप मुझे कोई ऐसा समाधान बताइए जिससे मैं अपना पेट आसानी से साफ कर सकूं और पेट की इन सभी समस्याओं से हमेशा हमेशा के लिए निजात पा सकूं।

पहले तो उस महात्मा ने रामू की सभी बातों को ध्यान पूर्वक सुना और फिर कहां हमारे आयुर्वेद के सिद्धांत के अनुसार जितना समय आपको पेशाब यानी की टॉयलेट करने में लगता है, उतना ही समय पेट साफ होने में लगना चाहिए। तभी आप स्वस्थ हैं, लेकिन बहुत सारे लोग टॉयलेट में बहुत देर तक बैठे रहते है, मोबाइल चलाते रहते हैं, न्यूस पेपर पढते रहते हैं लेकिन उसके बावजूद उनका पेट साफ ठीक से नहीं हो पाता और इसी कारण से उनके मन का संतुलन पूरे दिन बिगडा रहता है। बेचैनी, घबराहट, किसी काम में मन ना लगना।

ये सब ठीक से पेट साफ न होने की वजह से ही होता है। जब भी आप अपनी किसी भी बिमारी का इलाज आयुर्वेदिक पद्धति के अनुसार करवातें हैं तो सबसे पहले आपके पेट की सफाई की जाती है। यह अपने आप में पूरा इलाज नहीं है, लेकिन यह शरीर के सुधार के लिए बुनियादी वातावरण पैदा करता है कोई भी दवा तभी ठीक प्रकार से काम करेगी। जब आपका पेट साफ होगा वरना तो आप कितनी भी दवाइयां ले, कितना भी इलाज कराएं कोई फर्क नहीं पडने वाला।

शरीर हमें संकेत भेजता रहता है की हमारा पेट साहब ठीक से नहीं हो पा रहा है। जैसे कि पसीने में से दुर्गंध या मुँह में से दुर्गन्ध। अगर वहाँ से दुर्गंध आ रही है तो हमें समझ जाना चाहिए कि हमारा पेट ठीक से साफ नहीं हो पा रहा है और हमें इसका हल ढूंढना होगा। ठीक से नींद ना आना, मानसिक समस्याएं, ये सारी चीजें पेट साफ ना होने के कारण ही पैदा होती है।

फिर रामु ने कहा की महात्मन हमें अपना पेट साफ कैसे करना है? महात्मा ने कहा आज में आपको पेट साफ करने के लिए कुछ प्रभावी आयुर्वेदिक जडी-बूटियों और तरीको के बारे में बताऊंगा। ये जडी-बूटियाँ आपको कब्ज से भी छुटकारा दिलाने में मदद करेंगी।

महात्मा की इन्हीं बातों को सुनकर रामू बहुत ज्यादा उत्साहित हो जाता है और कहता है महात्मन कृपया आप मुझे उन सभी तरीको के बारे में जानकारी दो जिससे मैं अपना पेट हमेशा के लिए स्वस्थ और साफ रख सकूं।

पेट साफ करने के आयुर्वेदिक तरीके

पहला तरीका: इसके बाद महात्मा पहला तरीका बताते हुए कहते हैं सबसे पहले हमें ये समझना चाहिए कि आज के समय में हमारी दिनचर्या और हमारा खानपान पूरी तरह से बदल चुका है और उसी बदलाव की वजह से हमारे शरीर में नाना प्रकार की बीमारियां पैदा होती है और हमारा पेट भी ठीक से साफ नहीं हो पाता। उदाहरण के लिए आज के समय में ज्यादातर लोग फ्रीज का पानी पीते है, जो कि बहुत ठंडा होता है।

और जितना ठंडा पानी आप पियेंगे, आपके पेट में जमा गंदगी उतनी ही सख्त होती जाएगी और इसी कारण से कब्ज जैसी बीमारियां पैदा होती है। अगर पानी को गर्म करके गुनगुना करके पिया जाए तो पेट की गंदगी बडी आसानी से बाहर आ पाएगी। सुबह उठते ही दो ग्लास गुनगुना पानी करके आराम से घूंट घूंट करके पिएं। कुछ लोगों को लग रहा होगा कि घूंट घूंट पानी करके पीने में बहुत समय लगेगा, लेकिन अगर यहाँ पर समय नहीं लगाएंगे

टॉयलेट में समय लगेगा। ये सबसे आसान और घरेलू नुस्खा है जो सब लोग अपना सकते हैं। बस संयम और नियम की जरूरत होती है। देखिये ठीक तरह से पानी पीना आपकी बहुत सारी बीमारियों को खत्म कर सकता है। जितना हो सके दिन में ज्यादा से ज्यादा पानी पिए। लेकिन याद रहे ठंडा पानी पीने की बजाय गर्म करके एक गुनगुना पानी पिएं। आजकल बाजार में ऐसी बोतलें भी आती है कि जिनमें आप जैसा पानी डालेंगे।

पानी वैसा ही रहेगा तो आप ऐसी बोतल ले सकते हैं और पानी गर्म करके गुनगुना करके उस बोतल में डाल सकते हैं और जब भी आपको जरूरत महसूस हो आप दिन में उस पानी को पी सकते हैं। लेकिन पानी के संबंध में एक बात जरूर याद रखना कि खाना खाते ही पानी नहीं पीना है। इससे आपकी पाचन क्रिया बाधित होती है। हमारे पेट में जठराग्नि जो होती है वो खाने को बचाने का काम करती है और जब हम खाना खाने के बाद झट से पानी पी लेते हैं

तो जठराग्नि शांत हो जाती है और हमारा खाना ठीक से पचा नहीं पाता। इसीलिए खाने के तकरीबन आधे से पौने घंटे तक पानी न पिएं। ये भी पता होना चाहिए कि पानी को किस तरह से पिए। एक तो खडे होकर पानी ना पिएं खडे होकर पानी पीने से घुटनों में और जोडों में दर्द की समस्या पैदा होती है। पानी को बैठकर घूंट घूंट करके पिएं, वहीं पानी सबसे ज्यादा लाभकारी होता है।

दूसरा तरीका: इसके बाद महात्मा ने रामू को दूसरा तरीका बताते हुए कहते हैं कि खाना खाने के बीच में कम से कम ५ घंटे का अंतर होना चाहिए जिससे कि जो खाना आपने खाया है वो ठीक से हजम हो सके। उसका पाचन ठीक से हो सके। जब हमारा शरीर पाचन की क्रिया कर रहा होता है तब शरीर के बाकी क्रियाएं धीमी रफ्तार पर चलने लगती है। कोशिकाओं के स्तर पर शुद्धिकरण धीमी रफ्तार पर चलने लगता है और इस कारण शरीर अपनी गंदगी खुद साफ नहीं कर पाता।

लेकिन अगर आप खाने के बीच में कम से कम ५ घंटे का अंतराल देते हैं तो इससे आपके शरीर को पर्याप्त समय मिलता है कि उसकी कोशिकाएँ खुद अपनी गंदगी अपने शरीर की गंदगी साफ कर सके। पश्चिमी भाषा में हम इसे इंटरमिटेंट फास्टिंग भी बोलते हैं लेकिन इंटरमिटेंट फास्टिंग में ज्यादा समय तक भूखा रहना पडता है। उसको हम अर्ध उपवास भी बोल सकते है। दोस्तों अगर उसके बारे में आपको पूरी जानकारी चाहिए तो उस वीडियो का लिंक आपको डिस्क्रिप्शन बॉक्स में मिल जाएगा।

तीसरा तरीका: अब महात्मा ने रामू को तीसरा असरदार तरीका बताते हुए कहते हैं अपने पेट को साफ करने के लिए हमें ये समझना होगा कि जो लार होती है वही हमारे खाने को पचाने का काम करती है। जितनी ज्यादा मात्रा में लार पैदा होगी, उतनी ही आसानी से खाना पच जाएगा। कुछ लोगों का मुँह हमेशा सूखा सूखा रहता है, उसमें लार पैदा नहीं होती। इसीलिए उनका खाना ठीक से हजम नहीं हो पाता। इसके लिए जरूरी है कि हमारा शरीर सही मात्रा में लार पैदा करे। उसके लिए हमे ज्यादा से ज्यादा सलाद खाना चाहिए। सलाद खाने से लार पैदा होती है, फाइबर होते है, उसमें

जिससे हमारा खाना आसानी से हजम हो जाता है। इसके अलावा खाना खाने के बाद कुछ मीठा खाया जा सकता है। जिन लोगों को सुगर या डाइअबीटीज़ नहीं हैं, वे आसानी से मीठा खा सकते हैं और वो मीठा खाने के कारण उनके शरीर में लार पैदा होने लगती है जिससे कि पाचन क्रिया आसान हो जाती है। अगर आप सलाद को खाना खाने से पहले खाते हैं तो वो ज्यादा लाभकारी होता है। उससे आपकी भूख बढती है और आपके शरीर में लार पैदा होनी शुरू हो जाती है।

चौथे तरीके: इसके बाद महात्मा ने रामू को चौथे तरीके में अपनी आहार नली को साफ रखने के बारे में बताया। उसको हम कैसे साफ रख सकते हैं? देखिये आहार नली में से ही खाना हमारे पेट में जाता है। अगर आहार नली ठीक से साफ नहीं होगी तो हमारे खाने के साथ ऐसे कीटाणु हमारे पेट में पहुँचेंगे जो हमारे शरीर को नाना प्रकार से नुकसान पहुंचाएंगे। इसलिए जरूरी हो जाता है कि जो आहार नली है, उसमें जो कीटाणु है उनकी ठीक से सफाई हो जाए और इसके लिए सबसे ज्यादा लाभकारी होता है नीम।

एक ऐसा दिव्य पेड नीम एक ऐसा दिव्य पेड है जो भारत में बडी आसानी के साथ उपलब्ध हो जाता है। हर जगह मिल जाता है नीम की पत्तियों को और हल्दी को पीसकर एक छोटी सी गोली बन जाती है। कुछ दिनों तक सुबह उठकर उस गोली को पानी के साथ सीधा गटक लिया जाए जिससे कि आप की आहार नली पूरी तरह से साफ हो जाए। हमेशा नहीं करना है। ये सिर्फ सात दिनों तक करें। सात दिनों में आध की आहार नली पूरी तरह से साफ हो जाएगी। हर तीन महीने में इस को दोहराते रहें जिससे कि आप की आहार नली समय समय पर साफ होती रही और आपके पेट में ऐसे कीटाणु कभी ना पहुँच पाए जो आपकी पाचन क्रिया को बाधित करते हैं।

पांचवां तरीका: महात्मा ने पांचवां और आखिरी तरीका बताते हुए कहा, रामू यह तरीका उन लोगों के लिए है जिन्हें ज्यादातर समय कब्ज की समस्या रहती है। जिन लोगों को लंबे समय से कब्ज की समस्या है वो अरंडी के तेल का इस्तेमाल करें। रात में सोने से पहले एक गलास दूध के अंदर आधा चम्मच गुनगुना अरंडी का तेल मिलाकर पिएं।

एक हफ्ता पीने के बाद पुरानी से पुरानी कब्ज भी ठीक हो जाती है। ये अरंडी का तेल दूध में गुनगुना करके ही मिलाएं और सिर्फ आधा चम्मच मिलानी है। सोने से पहले पीना है, इससे क्या होगा? आपकी आंतों के पास एक चिकनाई की परत बन जाएगी, एक कवच बन जाएगा जिसका कारण से आपके हाथों में खाना नहीं चिपकेगा और खाना अगर आंत में नहीं चिपकेगा तो कब्ज की समस्या कभी नहीं होगी। देसी अरंडी का तेल लें।

पैकिंग में जो तेल आता है, जो अंग्रेजी होता है वह उतना लाभकारी नहीं होता है। किसी भी पंसारी से खुले पीपे में से तेल ले। एक तो वो सस्ता भी होगा और दूसरा वो लाभकारी भी ज्यादा होगा। इसके अलावा सोने से पहले त्रिफला का भी सेवन किया जा सकता है। आंवला, बहेड़ा और हरड़ ये तीन ऐसे जादुई फल हैं, जिनसे मिलकर त्रिफला बनता है। इन तीनों की अलग अलग खूबियाँ है, लेकिन अगर ये तीनों एक साथ मिला दिया जाए तो इनकी दिव्यता, इनके गुण और भी ज्यादा बढ जाते हैं।

रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ आधा चम्मच त्रिफला का सेवन किया जाए। शरीर की सारी गंदगी बडी आसानी से साफ हो जाएगी। कोई प्रयास नहीं करना पडेगा। कोई ज़ोर जबरदस्ती करने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी तो ये कुछ आसान से घरेलू उपाय थे जिनको अपनाकर कोई भी अपने शरीर को स्वस्थ रख सकता है। अपने पेट की ठीक से सफाई कर सकता है।

गौतम बुद्ध की कहानी: भोजन के तीन नियम

पेट साफ करने के बाद महात्मा ने रामू से कहा, रामू अब मैं आपको भोजन के उन तीन नियमों के बारे में बताने जा रहा हूं। जिसे अपनाने पर पेट से सम्बन्धित कोई भी बीमारी नहीं होगी क्योकि पेट में होने वाली बीमारियां हमारे खानपान पर निर्भर करती है।

पहला नियम: महात्मा ने पहला नियम बताते हुए शुरू किया अपने आहार में ४० से ५० परसेंट सजीव भोजन शामिल करें। चाहे वह फल हो, हरी सब्जियां हों, सूखे मेवे हों या अंकुरित अनाज हों, कुल मिलाकर इसे पकाया नहीं जाना चाहिए, ज्यादातर लोग मृत भोजन खाते हैं और फिर स्वस्थ रहने की उम्मीद करते हैं मृत भोजन खाने का मतलब है कि हम किसी मृत चीज से जीवन निकाल रहे हैं, इसलिए इसमें कुछ लगेगा। हमारे शरीर से ऊर्जा निकलती है तो यह हमें ऊर्जा देती है भोजन को पचाने के लिए आवश्यक सभी पाचक रस न केवल शरीर में पाए जाते हैं बल्कि उस भोजन में भी पाए जाते हैं।

लेकिन जब हम उस भोजन को पकाते हैं तो उसमें से बहुत से पाचक रस नष्ट हो जाते हैं। और जब हम बिना पाचक रसों के खाना खाते हैं तो हमारे शरीर को उन सभी पाचक रसों को दोबारा बनाना पडता है जो नष्ट हो गए हैं लेकिन किसी व्यक्ति का पाचन तंत्र कितना भी अच्छा क्यों न हो वह उन सभी पाचक रसों को दोबारा नहीं बना सकता जो नष्ट हो गए हैं।

दूसरा नियम: रामू ने पूछा महात्मन दूसरा नियम क्या है महात्मा ने कहा दूसरा नियम शुद्ध शाकाहारी भोजन खाएं। यानी जो भोजन पेडों से मिलता है, जानवरों से नहीं मांस मछली अंडा न खाएं प्रकृति ने हमारे शरीर को जानवरों को खाने के लिए नहीं बनाया है।

तीसरे नियम: महात्मा ने तीसरे नियम बताया कि बासी भोजन या लंबे समय तक रखा हुआ भोजन नहीं करना चाहिए। सत्तरवें अध्याय के दसवें श्लोक में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि जो भोजन पकाया जाता है उसे पकाने के ३ घंटे के भीतर ही खा लेना चाहिए क्योंकि ३ घंटे के बाद वह भोजन तामसिक हो जाता है और उसमें से जीवन समाप्त होने लगता है इसीलिए भारतीय यौगिक संस्कृति में पका हुआ भोजन किया जाता है। ३ घंटे से ज्यादा रखा तो खाया नहीं हमारे पूर्वजों ने भी इसी नियम का पालन किया था। इसलिए खाना सीधे चूल्हे से उनकी थाली में आ जाता था. लेकिन आजकल ज्यादातर लोग सुबह का खाना शाम को खाते हैं और रात का बचा हुआ खाना सुबह खाते हैं और कई बीमारियों को निमंत्रण देते हैं। महात्मा ने रामू को तीनों नियम बताने के बाद अपने ध्यान केंद्रित में लग गए और रामू ने महात्मन को प्रणाम किया और वहा से चला गया।

तो दोस्तों यदि आप भी इन तीन नियमों का पालन करोगे तो तुम्हारी बीमारी भी ठीक हो जाएगी और तुम भी ठीक हो जाओगे। ऐसी कहानी बनाने का सिर्फ एकमात्र मकसद है कि इंसान अपना इलाज खुद करना सीखें। पश्चिमी दवाएं अंग्रेजी दवाएं एक तो काम बहुत कम करती है और काम कर भी जाती है तो वो शरीर में दूसरे नुकसान पहुंचाती हैं जिनका हमें पता ही नहीं होता। लेकिन हमारे आयुर्वेद में वाग्भट्ट जी ने ऐसे बहुत सारे तरीके बताए हैं जिनसे घरेलू नुस्खे अपनाकर अपने शरीर को हमेशा हमेशा के लिए स्वस्थ रखा जा सकता है।

तो फिर क्यों हम अंग्रेजी दवाओं की तरफ दौड रहे हैं? हमें अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति और अपने ज्ञान पर भरोसा करना चाहिए, उसे अपनाना चाहिए। उसके बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए। हर घर में जीस तरह से धार्मिक पुस्तकें होती है, उसी तरह से अष्टांग हृदयम् जैसी किताबें भी होनी चाहिए जिनका रोज़ अध्ययन करना चाहिए जिसमें शरीर के बारे में सारी जानकारी उपलब्ध होती है। पहले यह किताब संस्कृत में होती थी, लेकिन अब उसका हिंदी अनुवाद भी आ चुका है तो समझने में कोई ज्यादा समस्या नहीं होगी।

दोस्तों कैसी लगी ये कहानी? आपको अगर अच्छी लगी सहायक लगी तो अपने सगे संबंधियों के साथ इसको जरूर साझा करें।

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