गौतम बुद्ध की कहानी – ब्रह्म मुहूर्त में उठना क्‍यों माना जाता है इतना खास

Gautam Buddha Stories in Hindi: समुद्र में उठने वाली लहरों के सामने किनारे पर एक गुरु का बडा ही अद्भुत आश्रम था। जितना अनुभूति आश्रम था उससे कहीं ज्यादा अद्भुत वहाँ पर रहने वाले गुरु थे। उस सन्यासी ने अपना पूरा जीवन विज्ञान और अध्यात्म के नाम पर लिख दिया था। संध्या समय पास के ही गांव से कुछ युवक उस सन्यासी के उपदेश सुनने के लिए उस आश्रम में पहुँच जाते थे। १ दिन संध्या उपदेश में एक युवक ने गुरु से एक सवाल किया। उसने कहा कि गुरुदेव मन बडा ही विचित्र है।

The Secret of Brahma Muhurta

मैं बार बार अपने आप से ये बोलता हूँ की ये गलती में इस बार नहीं करूँगा, लेकिन हर बार मैं वही गलती दोबारा से दोहरा देता हूँ। सोचता हूँ कि अतीत में जो गलतियाँ मुझसे हुई है, उनके लिए मैं पश्चाताप ना करूँ, लेकिन मेरा मन हमेशा पीडा से भरा रहता है। आप कहते हैं कि ध्यान सब दुखों को मिटा देगा लेकिन मैं रोज़ ध्यान करता हूँ लेकिन उस ध्यान का मुझे कोई फायदा नहीं मिलता। ऐसा क्यों होता है? मैं क्या करूँ? कृपया करके मेरा मार्गदर्शन करिए। सन्यासी ने सबकी समस्या हल करते हुए कहना शुरू किया।

उन्होंने बताया कि शुरुआती ध्यान सबसे ज्यादा कठिन होता है क्योंकि शुरुआत में व्यक्ति के मन को आदत नहीं होती है। वो इधर उधर भागता है, दौडता है, अतीत की बातों को याद करता है, लेकिन ध्यान एक जगह पर लगा नहीं पाता। प्राचीन समय में जब भी कोई शिष्य अपने गुरु के पास ध्यान सीखने के लिए आता था तो वो गुरु उस शिष्य को ब्रह्म मुहूर्त में ध्यान लगाने के लिए कहा करते थे क्योंकि ब्रह्ममुहूर्त सृजन का समय होता है।

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इस समय सारी प्रकृति एक नए दिन की शुरुआत करती हैं, पक्षी पेडों पर कलरव करने लगते हैं और मुर्गे बांग देने लगते हैं। कमल खिल उठता है और पूरी प्रकृति एक सौंदर्य से भर जाती है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार २४ घंटों को ३० मुहूर्त में बांटा गया है, जिसमें हर एक मुहूर्त ४८ मिनट का होता है। ब्रह्ममुहूर्त की शुरुआत सूर्योदय से एक घंटा ३६ मिनट पहले हो जाती है। अलग अलग ऋतुओं में सूर्योदय का समय अलग अलग होता है। इसी प्रकार ब्रह्म मुहूर्त का समय भी अलग अलग ऋतुओं के हिसाब से अलग अलग होता है।

गर्मियों के दिनों में अगर सूर्य ६ बजे उदय हो रहा है तो ब्रह्ममुहूर्त की शुरुआत इससे एक घंटा ३६ मिनट पहले यानी की ४ बजकर २४ मिनट पर हो जाती है और वहीं पर सर्दियों में सूर्य अगर ७ बजे उगता है तो ब्रह्ममुहूर्त की शुरुआत ५ बजकर २४ मिनट पर होती है। आसान भाषा में अगर बात करें तो ४ बजे से ६ बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त का ही समय होता है। ये वो समय होता है जब मंदिर के पट खुल जाते हैं।

रिसि मुनि नदियों में स्नान करने के पश्चात ध्यान साधना में लीन हो जाते हैं। यही वो समय होता है जब कमल भी खिल उठता है। मंदिर के पट खुल जाते है। चलिए विस्तार से समझते हैं कि इस समय हमारे शरीर में क्या बदलाव आते हैं। आयुर्वेद का कहना है कि मनुष्य का शरीर तीन ऊर्जाओं से यानी की तीन दोषों से बना होता है वातपित्त और काव। यही तीनों ऊर्जा ये हमे पूरी तरह से संचालित करती हैं। अगर इन दोषों का संतुलन हमारे शरीर में बिगडने लगता है।

तो हम तरह तरह की बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। इन तीनों में से सबसे मुख्य ऊर्जा होती है वात की। वात का संतुलन बिगडने से हमारे शरीर में ८० तरह की बीमारियां पैदा होती है पीथ का संतुलन बिगडने से ४० और कप का संतुलन बिगडने से २० तरह की बीमारियां जन्म लेती है। इस प्रकार इन तीनों दोषो में से वात सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है और वात हमारे शरीर में सबसे ज्यादा सक्रिय सुबह के २ बजे से ६ बजे के बीच में होता है।

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यानी कि ब्रह्म मुहूर्त से पहले उठने वाले लोगों का वात हमेशा संतुलन में रहता है और इसी वजह से उनका पेट अच्छे से साफ होता है। उन्हें कोई बिमारी नहीं होती, वो हमेशा ऊर्जा से भरे हुए रहते हैं। उनका मुख कमल की तरह चमकता रहता है, उनमें असीम सौंदर्य पैदा हो जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले लोग हमेशा आनंद में रहते हैं और किसी भी काम को वो ध्यान बना लेते हैं। जो भी बुद्धिमान आदमी होता है वो इस समय को व्यर्थ नहीं गवाता, अष्टांगहृदय जो कि आयुर्वेद की एक श्रृंखला है,

उसमें लिखा हुआ है कि खुद को जानने के लिए सबसे योग्य समय ब्रह्म मुहूर्त का ही होता है। जो लोग ध्यान में गहरे उतरना चाहते हैं, खुद की खोज करना चाहते हैं, उन लोगों के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय किसी वरदान से कम नहीं होता है। ये वो समय होता है जब पूरी प्रकृति एक नई शुरुआत करती हैं। इसीलिए जो अतीत होता है वो पीछे छूट जाता है। दिन में और किसी समय ध्यान करने से आपको विचार परेशान कर सकते हैं और आप ध्यान को लगा नहीं पाएंगे।

लेकिन ब्रह्म मुहूर्त में जब दिन की शुरुआत होती है तो आपका मन और मस्तिष्क पूरी तरह से खाली होता है और ध्यान में उतर पाना उतना ही आसान होता चला जाता है। एक बार तथागत यानी कि बुद्ध के प्रिय शिष्य आनंद ने उनसे पूछा था कि हे तथागत ब्रह्म मुहूर्त का समय आपके लिए कितना महत्वपूर्ण होता है? इस पर तथागत ने उत्तर दिया था कि जीस प्रकार मछली के लिए जल महत्वपूर्ण होता है। उसी प्रकार आनंद, ध्यान और शून्यता का जीवन जीने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में सही समय पर जागना और जागने के बाद ध्यान में उतरना बहुत जरूरी होता है। अगर आपकी यात्रा आनंद की तरफ नहीं है, आप दुखों में कष्टों में अपना जीवन जीना चाहते हैं तो आपके लिए ब्रह्ममुहूर्त का कोई महत्त्व नहीं है। लेकिन अगर आप अपने जीवन में आनंद चाहते हैं, खुशी चाहते हैं, हमेशा ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करना चाहते हैं तो ये जरूरी हो जाता है कि बुद्धिमानों की तरह आपको भी ब्रह्म मुहूर्त का पूरा उपयोग उठाना चाहिए।

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सभी युवक ध्यानपूर्वक सन्यासी की बातें सुन रहे थे। सन्यासी ने ब्रह्ममुहूर्त पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण पेश करते हुए सभी युवकों को बताया कि हमारे मस्तिष्क के उपरी हिस्से पर पीनियल नाम की एक ग्रंथि होती है जो कि मेलाटोनिन नाम का एक हार्मोन रिलीज करती है, जो हमारे शरीर में आनंद की उत्पत्ति का कारण होता है। ये वही होर्मोन होता है जीतने अच्छे से और जितनी ज्यादा मात्रा में पीनियल ग्लैंड। मेलाटोनिन नाम का ये होर्मोन रिलीज करती है उतने ही आनंदित हम रहते हैं।

लेकिन जैसे ही हम सूर्य के संपर्क में आते हैं, ये मेलाटोनिन नाम का होर्मोन अपने आप नीचे गिरना चालू हो जाता है और इसी वजह से जो लोग देर से उठते हैं, अक्सर ऐसे लोग बिना कोई कारण ही तनाव में रहते हैं। उन्हें खुद समझ में नहीं आता कि उनके अंदर तनाव किस बात का है। छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आना, चिडचिडापन ये सारे सौभाव उनके अंदर पाए जाते हैं। शरीर और मन मस्तिष्क की ये सारी प्रक्रिया मेलाटोनिन नाम के हार्मोन का पीनियल ग्लैंड द्वारा ठीक से रिलीज ना हो पाना इसी के कारण कुछ इंसानों का भाव ऐसा हो जाता है। ब्रह्म मुहूर्त के बाद का मुहूर्त समुद्रम नाम से जाना जाता है, जिसमें शरीर और मन की मूवमेंट होती है। इस समय पीठ पर सूर्य की किरणें सीधी आती है और सेरोटोनिन नाम का एक हार्मोन रिलीज होता है, जो हमारे मन और मस्तिष्क में ऊर्जा पैदा करता है। एक ताजगी पैदा करता है, जिससे हम दिन के सभी काम कर पाते है। चरक संहिता में लिखा हुआ है कि जो व्यक्ति

रोजाना ब्रह्म मुहूर्त में उठता है उसकी उम्र बढने की रफ्तार धीमी हो जाती है। यानी जिन लोगों के चेहरे पर समय से पहले झुर्रियां आने लगी है, उनके बाल पकने लगे हैं। ऐसे लोग अगर नियमित रूप से भ्रम मुहूर्त में जागने का अभ्यास करें तो कुछ ही समय में वो पाएंगे कि उनके चेहरे की झुर्रियां और उनके बाल पूरी तरह से ठीक हो चूके हैं। एक युवक ने सन्यासी से सवाल किया कि गुरुदेव कुछ लोग ब्रह्म मुहूर्त में नहीं उठ पाते हैं, ऐसे लोग किस प्रकार पर अमूर्त में उठने का अभ्यास कर सकते हैं?

कृपया करके उसके बारे में मार्गदर्शन करें। सन्यासी ने कहना शुरू किया कि ब्रह्म मुहूर्त में जागने के लिए इस जरूरी हो जाता है कि पिछली रात्रि आप सही समय पर निद्रा में चले जाएं। अगर आप सही समय पर नींद नहीं लेंगे तो आप ब्रह्म मुहूर्त में पूरी ऊर्जा के साथ नहीं उठ पाएंगे। आप ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद भी थका थका महसूस करेंगे। आपको नींद आएँगी झपकी आएंगी और आप पूरी तरह से ध्यान नहीं लगा पाएंगे। इसलिए ज़रूरी हो जाता है

कि ब्रह्म मुहूर्त के समय का पूर्णतः उपयोग करने के लिए आप योग निद्रा का अभ्यास करें। योग निद्रा में नींद गहरी होती चली जाती है और कुछ ही समय में आपकी नींद पूरी हो जाती है। जो लोग योग निद्रा का अभ्यास करना चाहते हैं उनके लिए एक गाइड मेडिटेशन हमने अपने चैनल पर अपलोड किया हुआ है। उसका लिंक हम विडिओ के आखिर में डाल देंगे। आप चाहें तो सोने से पहले उस निर्देशित ध्यान का पालन कर सकते हैं जिससे कि आप योग निद्रा का अनुभव कर पाएंगे।

और आपकी नींद पहले से ज्यादा अच्छी और गहरी होती जाएगी। युवक ने अगला सवाल पूछा कि गुरुदेव ब्रह्ममुहूर्त में किस प्रकार की दिनचर्या का पालन करना चाहिए? सुबह उठते ही सबसे पहले क्या करना चाहिए और किस प्रकार भ्रम मुहूर्त के समय का पूरी तरह से उपयोग करना चाहिए? सन्यासी ने सब को चेतावनी देते हुए समझाया कि जीतने भी योगी महात्मा होते हैं, सन्यासी होते हैं। वो ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और सोचते आदि करने के बाद सीधा ध्यान में बैठते हैं

क्योंकि इस समय ध्यान करना सबसे आसान होता है। विचारों का भटकाऊ सबसे कम होता है क्योंकि इस समय दिन की शुरुआत हो रही होती है। नया सृजन हो रहा होता है। इस समय पूरा वातावरण शून्यता से भरा होता है तो इस समय १५ मिनट का किया हुआ ध्यान पूरे दिन में २ घंटे किये हुए ध्यान के बराबर हो जाता है। आप सिर्फ १५ मिनट ध्यान करने के बाद वही अनुभव कर पाएंगे जो एक योगी जो एक सन्यासी जो एक महात्मा जो एक गुरु गहरे ध्यान में जाने के बाद अनुभव करता है

तो सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद स्नान और सोच इत्यादि करने के बाद सीधे ध्यान में प्रवेश कर ले। कोई भी ध्यान आप कर रहे हो, किसी भी प्रकार का आप ध्यान कर रहे हो इससे कोई मायने नहीं है। जिसका भी आप पालन करते हो, उसका भ्रम मुहूर्त में उठते ही पालन करने का अभ्यास करें और कुछ ही समय बाद आप खुद ही ये अनुभव करेंगे कि आप कितने गहरे आनंद को प्राप्त कर चूके हैं।

आप इतने गहरे ध्यान को कभी अनुभव नहीं कर पाएंगे जितना गहरा ध्यान आप ब्रह्म मुहूर्त में अनुभव कर सकते हैं। जिन लोगों ने ध्यान की यात्रा की सिर्फ शुरुआत की है या फिर जो शुरुआत करना चाहते हैं उनके लिए तो ब्रह्ममुहूर्त बहुत ही वरदान साबित होगा। सन्यासी ने चेतावनी देते हुए बताया कि कुछ लोग ब्रह्म मुहूर्त में जागने के बाद भी उस समय का सही उपयोग नहीं करते हैं। कुछ लोग अपना मोबाइल फ़ोन यूज़ करने लगते हैं।

तो कुछ लोग किसी से बातें करने लगते हैं, लेकिन इस समय अगर आपका टहलने का मन हो रहा है ध्यान करने के बाद तो आप अपने चप्पल या जूते निकालकर हरी घास पर घूमें। इससे आपकी त्वचा और आपकी आँखों को बहुत ही लाभकारी फायदे मिलेंगे। ध्यान और योग आसन करने के बाद एक व्यक्ति को शारीरिक अभ्यास जरूर करना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में क्योंकि ब्रह्म मुहूर्त में जब हमारे शरीर से पसीना निकलता है तो हमारे रक्त तक शुद्ध वायु यानी की ऑक्सीजन पहुंचती है।

जो हमारे रक्त संचार को बेहतर कर देती है और हमारे शरीर की सारी गंदगी बाहर आ जाती है। शारीरिक अभ्यास करने के बाद आप पूरे दिन चुस्त रहेंगे। आप बिल्कुल भी आलस्य नहीं करेंगे, थका थका महसूस नहीं करेंगे। जिससे भी मिलेंगे जिंदादिली से मिलेंगे। लोग खुश हो जाएंगे। आपके पास बैठकर आपसे बातें करके लोग मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। और यही सफलता का सबसे बडा मंत्र होता है। जो लोग सुबह उठकर ध्यान और शारीरिक अभ्यास मात्र कर लेते हैं।

वो जीवन में बडी से बडी उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं। आखिर में सन्यासी ने सभी युवकों को समझाते हुए कहा कि ब्रह्म मुहूर्त का समय हमारे जीवन का सबसे कीमती समय होता है, इसीलिए इस समय को दूसरी गतिविधियों में बर्बाद मत करो। इस समय को तुम अपनी आध्यात्मिक और मानसिक उन्नति के लिए बहुत अच्छे से इस्तेमाल कर सकते हो और इसका सदुपयोग कर सकते हो। इसके बाद सन्यासी सभी को प्रणाम करके वहाँ से प्रस्थान कर गए।

तो दोस्तों उम्मीद करता हूं आपको इस कहानी से एक अच्छी सिख मिली होगी, यह कहानी आपको कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताएं और इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। धन्यवाद…

Namo Buddhay 🙏

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